१.जब से मिला है तुमसे ,तबसे ये मैंने जाना !
होता है यारो इश्क क्या ,होता क्या दीवानापन !
२.तेरे खाबो में खोया ,खोया तेरी बाहों में ,जुल्फों में तेरे खो कर मैंने ये जाना !
होता है यारो इश्क क्या ,होता क्या दीवानापन !
३.इश्क की गहराई को देखा तेरी आखो में ,तेरे लबो पे पाया इश्क की सहनाई को !
हर एक चेहरे में अब दिल तुझको है देखा करता , खाबो-ही–खाबो में तुझसे मिलने की कोशिस करता !
जब से मिला है तुमसे ,तबसे ये मैंने जाना !
होता है यारो इश्क क्या ,होता क्या दीवानापन !
४. इश्क हुआ है तुझसे ,तेरा हू दीवाना मैं !
जब से मिला है तुमसे ,तबसे ये मैंने जाना !
होता है यारो इश्क क्या ,होता क्या दीवानापन !
पशुपति नाथ झा !