आपकी जुल्फों से जुदाई तो नही माँगा है,
कैद माँगा है रिहाई तो नही माँगा है |
मैंने क्या जुर्म किया ,आप खफा हो बैठे ,
साथ माँगा है , खुदाई तो नही माँगा है |
हमारी चाहतो को फिर से , तुम आजमालो ना |
तू है मेरी प्रेम की भाषा ,
लिखता हु तुझे रोज जरा सा |
ये मुहब्बत क्या होता है ?
अगर तेरे कलम की स्याही ख़त्म है ,तो मेरा लहू ले ले ऐ-खुदा |
पर मेरे मुहब्बत की कहानी को यु अधुरा न छोर |