खुशियों का मुझको वजह दे-दे | पर पोस्ट किया गया दिसम्बर 8, 2015 द्वारा Pashupati Nath Jha मुस्कुराहट और तेरी बाते ,कतरा–कतरा याद आते है | दूरिय जो दर्मिया है अब ,धीरे –धीरे सब मिटाएंगे | झुकी इन नजरो को उठाने का ,हौशला मुझको सनम दे-दे | हाथों में रख कर सनम तु हाथ , खुशियों का मुझको वजह दे-दे | इसे शेयर करे:TwitterFacebookपसंद करें लोड हो रहा है...